बहुत मुश्किल है, सभी को खुश रखना,
चिराग जलाते ही, अंधेरे रूठ जाते है..!!
Author Archives: Ashutosh Singh
Hi, This is Ashutosh Singh from Arrah, Bihar
जिंदगी
घर से निकलते थे माँ के हाथों बनी रोटी खाकर, आज सड़क किनारे चाय तलाश रही है ज़िन्दगी।
सफ़र
‘
इस सफ़र में नींद एसी खो गई,
हम नहीं सोए रात थक कर सो गई..!!
समंदर
कुछ तो बात होगी तेरे खारेपन में ए समंदर,
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वरना हर मीठी नदी तुमसे मिलने नही आती… !!
शहर
घुटन है इस शहर की फ़िज़ाओं में ..,
ये शहर अब पहले सा ना रहा ..!!
औरत
तौहिन ना करना औरतों की इनके बल पर जग चलता है..
मर्द पैदा हो कर तो_इन्हीं की गोद मे पलता है..!!!!!!!!
गाँव
सारी दुनिया भुलाना चाहता हूं,
मैं अपने गांव जाना चाहता हूं।
आधुनिकता से मैं उकता गया हूं,
दौर फिर से पुराना चाहता हूं।।
यदि अंधकार से लड़ने का संकल्प कोई कर लेता है,
तो एक अकेला जुगनू भी सब अंधकार हर लेता है।
उम्र को हराना है , तो शौक जिंदा रखिए;
कुछ ही रखिए मगर चुनिंदा रखिए।।
डिग्रियां रद्दी और बेकार हो गईं
जब ज़िन्दगी ने सवाल पूछा